लेखनी कहानी -01-Dec-2021
|| तरुवर (वृक्ष) चालीसा ||
|| दोहा ||
तरुवर फल छाया देय , अरु लकड़ी का भंडार |
प्राण वायु हर जीव को , है सृजन का आधार ||
जय तरुवर जीवन के दाता |
जय दरख़्त सर्व सुख दाता ||
भूमि पुत्र दिनेश सुत नामा |
वसुधा पर जीवन तुम थामा ||
अपने तात तुम्हीं हो संगी |
तुम बिन धरा नहीं हो चंगी ||
हरियल वरण विराजे सुवेशा |
बिन तुम नाही बसे कोई देशा ||
शाखों पर तुम फल लटकाये |
कंधों पर लता बहुत लिपटाये ||
बरगद पीपल तुलसी चन्दन |
करते हम सब तुम्हरा बंदन ||
औषधवान गुनी अति व्यापक |
सब जग के तुमही हो साधक ||
मनुज तुम्हारे रसके है बसिया |
पशू पंछी सब तुम संग रसिया||
Seema Priyadarshini sahay
03-Dec-2021 12:01 AM
Nice
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Pallavi
01-Dec-2021 10:35 PM
👌👌
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Priyanka Rani
01-Dec-2021 10:02 PM
बहुत सुंदर रचना
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Aashavadi Kamal singh
02-Dec-2021 07:24 AM
Thaks
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